पञ्च प्रयाग (Five Confluences)
उत्तराखंड में पाँच प्रमुख प्रयाग (संगम स्थल) हैं, जहाँ विभिन्न नदियाँ मिलती हैं। ये प्रयाग धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पवित्र माने जाते हैं और तीर्थयात्रियों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
- विष्णुप्रयाग:
- स्थान: विष्णुप्रयाग, बद्रीनाथ के रास्ते में जसवंतनगर और पद्मपद के पास स्थित है।
- संगम: यह संगम अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों का है।
- महत्त्व: यहाँ पर भगवान विष्णु के दर्शन की मान्यता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विष्णुप्रयाग में स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- नंदप्रयाग:
- स्थान: नंदप्रयाग, चमोली जिले में स्थित है और यह स्थान वृषगंगा और अलकनंदा नदियों के संगम पर स्थित है।
- महत्त्व: यह स्थान पौराणिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ भगवान नंद, जो भगवान कृष्ण के पिता थे, की पूजा होती है।
- कर्णप्रयाग:
- स्थान: कर्णप्रयाग, चमोली जिले में अलकनंदा और पिंडर नदियों के संगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
- महत्त्व: यह स्थान महाभारत के कर्ण से जुड़ा हुआ है, जो यहीं पर पूजा करते थे। कर्णप्रयाग में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- रुद्रप्रयाग:
- स्थान: रुद्रप्रयाग, गंगोत्तरी और यमुनोत्री के संगम स्थल पर स्थित है।
- महत्त्व: यहाँ भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा होती है। रुद्रप्रयाग का धार्मिक महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।
- देवप्रयाग:
- स्थान: देवप्रयाग, टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। यह संगम अलकनंदा और भागीरथी नदियों का है, जो बाद में गंगा के रूप में प्रवाहित होती हैं।
- महत्त्व: देवप्रयाग को गंगा की प्रारंभिक संगम स्थल माना जाता है। यहाँ पर गंगा स्नान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।